NCERT Solutions for Class 8 Civics Chapter 10
(कानून और सामाजिक न्याय)
पाठगत प्रश्नप्रश्न 1. न्यूनतम वेतन के लिए कानून की जरूरत क्यों पड़ती है? [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-121]
उत्तर - न्यूनतम वेतन के लिए कानून की आवश्यकता होती है, क्योंकि निजी कंपनियाँ ठेकेदार या व्यवसायी अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं और वे मजदूरों को उतना वेतन नहीं देते हैं जितना कि उन्होंने परिश्रम किया है। कानून यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें न्यूनतम वेतन कितना दिया जाए और उनके परिश्रम से कम वेतन न मिले।
प्रश्न 2. पता लगाएँ
(क) आपके राज्य में निर्माण मजदूरों के लिए तय न्यूनतम वेतन क्या है?
(ख) क्या आपको निर्माण मजदूरों के लिए तय न्यूनतम वेतन सही, कम या ज्यादा लगता है? .
(ग) न्यूनतम वेतन कौन तय करता है? [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-121]
उत्तर -
(क) छात्र अपने-अपने राज्यों के अनुसार स्वयं करें।
(ख) छात्र अपने-अपने राज्यों के अनुसार स्वयं करें।
(ग) न्यूनतम वेतन प्रत्येक राज्य की राज्य सरकार तय (निश्चित) करती है।
प्रश्न 3. आपको ऐसा क्यों लगता है कि किसी फैक्ट्री में सुरक्षा कानूनों को लागू करना बहुत महत्त्वपूर्ण होता [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-127]
उत्तर - किसी फैक्ट्री में सुरक्षा कानूनों को लागू करना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
- संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के अधिकार का उल्लंघन न हो।
- मजदूरों और अन्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए।
- पर्यावरण तथा आम लोगों की सुरक्षा के लिए।
उत्तर -
- हाँ, सरकार के पास पर्याप्त संख्या में मोटर गाड़ियों के तेज़ रफ्तार की जाँच करने वाले उपकरण नहीं है।
- परिवहन विभाग के कर्मचारियों की उदासीनता भी महत्त्वपूर्ण कारण है।
- परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इसके लिए उत्तरदायी है।
- मोटर गाड़ियों रफ्तार की जाँच करने के लिए पर्याप्त संख्या में उपकरण उपलब्ध कराए जाएँ।
- परिवहन विभाग के कर्मचारियों को अपना उत्तरदायित्व ठीक प्रकार से निभाना चाहिए।
- परिवहन विभाग द्वारा भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए।
- लोगों को कानून की जानकारी संचार माध्यमों से दी जानी चाहिए।
उत्तर - जनसुविधाएँ कुछ मूलभूत सुविधाएँ हैं जो हर व्यक्ति को उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। इसमें स्वच्छ वातावरण भी शामिल है। स्वच्छ वातावरण में स्वच्छ जीवन निवास करता है।
प्रश्न 6. हमें नए कानूनों की जरूरत क्यों है? [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-128]
उत्तर - संविधान के अनुच्छेद 21 के जीवन के अधिकार में प्रदूषण मुक्त हवा और पानी भी शामिल है। अतः प्रदूषण पर अंकुश लगाने, नदियों को साफ रखने और दोषियों पर जुर्माना लगाने के लिए नए कानूनों की जरूरत है।
प्रश्न 7. कंपनियाँ और ठेकेदार पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कैसे कर पाते हैं? [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-128]
उत्तर - कंपनियाँ और ठेकेदार पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर पाते हैं, क्योंकि
- पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को ईमानदारी से लागू नहीं किया जा रहा है।
- सरकारी अधिकारी रिश्वत लेकर कंपनियों व ठेकेदारों को मनमानी करने की छूट दे देते हैं।
- यदि कंपनियाँ या ठेकेदार कानून तोड़ते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ उचित कार्यवाही नहीं की जाती है।
प्रश्न 1. तालिका-1 (एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-122)
तालिका संख्या 1 में विभिन्न पक्षों की सुरक्षा से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण कानून दिए गए हैं। उसमें में दिए गए कॉलम (2) और (3) में बताया गया है कि ये कानून क्यों और किसके लिए ज़रूरी हैं। कक्षा में चर्चा के आधार पर इस तालिका के खाली खानों को भरें।

उत्तर

स्त्रोत अध्ययन
जनसुविधा के रूप में पर्यावरण
हाल के वर्षों में न्यायालयों ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर कई कड़े आदेश दिए हैं। ऐसे कई आदेशों से लोगों
की रोजी-रोटी पर भी बुरा असर पड़ा है। मिसाल के तौर पर, अदालत ने आदेश दिया कि दिल्ली के रिहायशी इलाकों में काम करने वाले उद्योगों को बंद कर दिया जाए या उन्हें शहर से बाहर दूसरे इलाकों में भेज दिया जाए। इनमें से कई कारखाने आसपास के वातावरण को प्रदूषित कर रहे थे। इन कारखानों की गंदगी से यमुना नदी भी प्रदूषित हो रही थी, क्योंकि इन कारखानों को नियमों के हिसाब से नहीं चलाया जा रहा था। अदालत की कार्रवाई से एक समस्या तो हल हो गई, लेकिन एक नई समस्या पैदा भी हो गईं कारखानों के बंद हो जाने से बहुत सारे मज़दूरों के रोजगार खत्म हो गए। बहुतों को दूर-दराज के इलाकों में जाना पड़ा। जहाँ उन कारखानों को दोबारा चालू किया गया था। अब प्रदूषण की समस्या इन नए इलाकों में पैदा हो रही है ये इलाके प्रदूषित होने लगे हैं। मजदूरों की सुरक्षा संबंधी स्थितियों का मुद्दा अभी भी वैसा का वैसा है। भारत में पर्यावरणीय मुद्दों पर हुए ताज़ा अनुसंधानों से यह बात सामने आई है कि मध्य वर्ग के लोग पर्यावरण की चिंता तो करने लगे हैं, लेकिन वे अक्सर गरीबों की पीड़ा को ध्यान में नहीं रखते। इसलिए उनमें से बहुतों को यह तो समझ में आता है कि शहर को सुंदर बनाने के वास्ते बस्तियों को हटाना चाहिए या प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को शहर के बाहर ले जाना चाहिए, लेकिन यह समझ में नहीं आता कि इससे बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी भी खतरे में पड़ सकती है। जहाँ एक तरफ स्वच्छ पर्यावरण के बारे में जागरूकता बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ मजदूरों की सुरक्षा के बारे में लोग ज्यादा चिंता नहीं जता रहे हैं। अब चुनौती ऐसे समाधान ढूंढने की है, जिनमें स्वच्छ वातावरण का लाभ सभी को मिल सके। इसका एक तरीका यह है कि हम कारखानों में ज्यादा स्वच्छ तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाने पर जोर दें। इसके लिए सरकार को भी चाहिए कि वह कारखानों को प्रोत्साहन और मदद दे। उसे प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना करना होगा। इस तरह मजदूरों के रोजगार भी बच जाएँगे और समुदायों व मजदूरों को सुरक्षित पर्यावरण का अधिकार भी मिल जाएगा।
प्रश्न 1. क्या आपको लगता है कि ऊपर उद्धत मामले में सभी पक्षों को न्याय मिला है? [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-129]
उत्तर - नहीं, सभी पक्षों को न्याय नहीं मिला। फैक्ट्री मजदूरों और झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वालों के साथ अन्याय हुआ है।
प्रश्न 2. क्या आपको पर्यावरण की रक्षा के और तरीके दिखाई देते हैं? कक्षा में चर्चा करें। [एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक पेज-129]
उत्तर - पर्यावरण की रक्षा के लिए तरीके –
- पर्यावरण सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
- अत्यधिक निर्माण कार्य पर रोक लगाई जानी चाहिए।
- जल शोधक संयंत्र स्थापित किए जाने चाहिए।
- कूड़ा-करकट व अपशिष्ट पदार्थों को नदियों या खुले स्थान में नहीं फेंकना चाहिए।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1. दो मजदूरों से बात करके पता लगाएँ कि उन्हें कानून द्वारा तय
किया गया न्यूनतम वेतन मिल रहा है या नहीं। इसके लिए आप निर्माण मजदूरों, खेत
मज़दूरों, फैक्ट्री मज़दूरों या किसी दुकान पर काम करने वाले मजदूरों से बात
कर सकते हैं।उत्तर - विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2. विदेशी कंपनियों को भारत में अपने कारखाने खोलने से क्या फ़ायदा है?
उत्तर - विदेशी कंपनियों को फायदा-
- भारत में सस्ता श्रम मिलता है।
- भारत में सस्ती दरों पर भूमि उपलब्ध होती है।
- भारत में विशाल बाज़ार उपलब्ध होता है।
- भारत में उदार और अनुकूल सरकारी नीतियों का फायदा मिलता है जिससे उनका लाभ बढ़ता है।
- सुरक्षा नियमों का पूरा पालन करने पर कम खर्च आता है।
उत्तर - भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ितों को सामाजिक न्याय नहीं मिला है क्योंकि
- पीड़ितों को घटना के 24 साल बाद भी न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
- वे पीने के साफ पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं और यूनियन कार्बाइड के जहर से ग्रस्त लोगों के लिए नौकरियों व उचित मुआवजे की माँग कर रहे हैं।
- वे यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन एंडरसन को सजा दिलाने के लिए भी आंदोलन चला रहे हैं।
उत्तर - कानून को लागू करने का मतलब-
- कानून को लागू करने का मतलब है कि कानून केवल बनाए ही न जाएँ, बल्कि उनको व्यवहार में भी लाना जरूरी है।
- कानून बनाने का काम विधायिका करती है और कानूनों को लागू करने का काम कार्यपालिका यानि सरकार का होता है।
- कानूनों को जब तक लागू नहीं किया जाता तब तक बनाए गए कानूनों का कोई महत्त्व नहीं।
- जब कोई कानून ताकतवर लोगों से कमजोर लोगों की रक्षा के लिए बनाया जाता है तो उसको लागू करना और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि कानून के लागू होने से उनके हितों की रक्षा होगी।
- कानून लागू करके ही सरकार व्यक्तियों या निजी कंपनियों की गतिविधियों को नियंत्रित कर सकती है ताकि सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकें।
उत्तर - कानूनों के माध्यम से निम्नलिखित प्रकार से बाजारों को सही ढंग से काम करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है-
- चीजों की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप होनी चाहिए यह बताने के लिए कानून बनाया गया है। उदाहरण के लिए विद्युत उपकरण सुरक्षा मानकों के अनुरूप होने चाहिए।
- कीमतों को नियंत्रण में रखने वाले कानून आवश्यक वस्तुओं की कीमतों; जैसे- चीनी, दाल, तेल, अनाज आदि को नियंत्रण में रखता है।
उत्तर - एक मजदूर की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभाव-
- नए स्थान पर रहने की व्यवस्था करनी पड़ेगी। नई जगह पर जाकर बसने में दिक्कतें आएँगी और आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।
- बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होगी क्योंकि नई जगह पर शिक्षा की सुविधा किस प्रकार की है यह बात महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- नए स्थान पर उपलब्ध परिवहन सुविधाएँ, स्वास्थ्य सुविधाएँ, बाजार सुविधा कैसी है? यह बात भी मजदूर की जिंदगी को प्रभावित करेगी।
उत्तर - सरकार की विभिन्न भूमिकाएँ-
- प्रत्येक व्यक्ति को विभिन्न जनसुविधाएँ; जैसे-पानी, स्वास्थ्य, स्वच्छता, बिजली, परिवहन तथा विद्यालय आदि उपलब्ध कराना।
- सरकार बजट पेश करती है। सरकार बजट में वर्ष के आय तथा व्यय और आने वाले वर्ष की योजनाओं के लिए पैसे की व्यवस्था कैसे की जाएगी।
- सरकार कानून बनाती है तथा इस बात को भी सुनिश्चित करती है कि कानूनों को कैसे लागू किया जाए।
- सरकार यह भी सुनिश्चित करती है कि संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों का हनन न हो।
(क) हवा;
(ख) पानी और
(ग) मिट्टी में प्रदूषण के संबंध में चर्चा करें। प्रदूषण को रोकने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं? क्या आप कोई और उपाय सुझा सकते हैं?
उत्तर - पर्यावरण को दूषित करने वाले स्रोत-
- हवा-फैक्ट्रियों और यातायात के साधनों से निकलने वाला धुआँ।
- पानी-गंदे नालों का पानी, सीवर का पानी, कारखानों का गंदा पानी आदि।
- मिट्टी-फैक्ट्रियों को दूषित जल व कचरा, घरों का गंदा पानी व कूड़ा-कचरा आदि।
- सरकार ने सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए कानून बनाए हैं।
- गंदे पानी को साफ करने के लिए जल शोधक संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
- उद्योगों व फैक्ट्रियों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित किए गए हैं।
- प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग पर रोक लगा दी गयी है।
- अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएँ।
- लोगों को प्रदूषण रोकने के लिए जागरूक करना।
- निजी वाहनों को सी.एन.जी. के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- कूड़ा-करकट व अपशिष्ट के निपटान के लिए व्यवस्था की गयी है।
उत्तर - पहले पर्यावरण के प्रति सोच-
- पर्यावरण को मुफ्त की चीज माना जाता था।
- पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं थी।
- पहले पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत कम कानून थे और इन कानूनों को लागू करने की व्यवस्था | भी काफी कमजोर थी।
- पर्यावरण के प्रति लोगों की सोच में बदलाव आया है और अब लोग पर्यावरण की चिंता करने लगे हैं।
- न्यायालयों ने अपने फैसलों में स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना है।
- सरकार ने भी सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए कानून बनाए हैं।
उत्तर - 2006 में बनाए गए कानून से संबंध-
- प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण इस कार्टून के माध्यम से बताना चाहते हैं कि हमारे देश में बाल मजदूरी अभी भी जारी है।
- इस सामाजिक कुरीति में गरीब वर्ग अमीर वर्ग द्वारा शोषित होता है।
- 2006 में सरकार ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों को घर, ढाबों या रेस्तराँ आदि में नौकरी पर रखने की प्रथा पर पाबंदी लगा दी थी।

NCERT Solutions for Class 8 Civics Chapter 10 कानून और सामाजिक न्याय (Hindi Medium).